Women's health and Ayurveda
स्त्री स्वास्थ्य औरआयुर्वेद
नारी....... नारी ईश्वर द्वारा बनाई गई एक अनोखी रचना है ........ जो अपने परिवार के लिए लगातार काम करती रही है। पूरे परिवार के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी निभानेवाली महिला खुद कितनी स्वस्थ है? यह सोचना परिवार की और महिला की खुद की जिम्मेदारी है। क्योंकि अगर घर की महिला स्वस्थ होगी तो पूरा परिवार स्वस्थ होगा।
एक महिला के जीवन में तीन महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं। वह समय जब किसी महिला को कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। पहला बदलाव माहवारी की शुरुआत है ............ माहवारी आमतौर पर 8 से 14 साल की उम्र में शुरू होती है। और इसके साथ महिला को कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। ये सभी परिवर्तन महिला शरीर में हार्मोन के बदलाव के कारण होते हैं।
इस समय के दौरान, हार्मोन में बदलाव के कारण महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, श्रोणि में दर्द या मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द, सफेद पानी गिरना, चिड़चिड़ापन, कमजोरी आदि से पीड़ित होते हैं। PCOS, PCOD, LEUCORRHEA, METRORRHAGIA, DYSMENORRHEA, UTERINE FIBROIDS आदि जैसे रोग महिलाओं को परेशान कर सकते है। इन सभी बीमारियों में उपरोक्त लक्षणों में से एक या अधिक लक्षण हैं।
एक महिला के जीवन में एक और बदलाव आता है "गर्भावस्था" के दौरान....... एक नए जीव को जीवन देने की प्राकृतिक प्रक्रिया ............. लेकिन यह प्राकृतिक प्रक्रिया कभी-कभी गर्भाशय फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस, ट्यूबल ब्लॉक जैसे कारणों से ग्रस्त होती है। इसे बांझपन कहा जाता है। दो प्रकार की बांझपन, प्राथमिक बांझपन और सेकंडरी बांझपन हैं। प्राथमिक बांझपन का मतलब उनके वैवाहिक जीवन के दौरान एक भी संतान का सुख नहीं होना है। और सेकंडरी बांझपन का मतलब पहले बालक के जन्म के बाद दूसरी बार गर्भधारणा नहीं हो पाती है।
एक महिला के जीवन में तीसरा परिवर्तन रजोनिवृत्ति है ..... मासिक धर्म बंद होना है ... .. महिलाओं को मासिक धर्म शुरू होने के साथ जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वही समस्याएँ मासिक धर्म बंद होते समय भी होती हैं। मासिक धर्म आमतौर पर 42 से 52 वर्ष की आयु में बंद हो जाता है। इस उम्र में शरीर में डीजेनरेटिव परिवर्तनों के कारण प्री मेणोपौसल सिंड्रोम होता है। इसके लक्षणों में मासिक धर्म की अनियमितताएं शामिल हैं - 45 से 90 दिनों के भीतर मासिक धर्म से खून बहना, मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, जलन आदि।
इन महिलाओं की समस्याओं को समझते हुए, प्राचीन प्रमुखों ने आयुर्वेदिक ग्रंथों में उसके उपचार का वर्णन किया है । इन सभी बीमारियों का इलाज आयुर्वेदिक औषधि एवं पंचकर्म उपचार और योग के माध्यम से किया जाता है। बस्ति और उत्तरबस्ति का उपयोग विशेष रूप से महिलाओं के मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए किया जाता है। बस्ती का अर्थ है मलाशय के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाएं देना। और उत्तरबस्तिमे योनिमार्ग द्वारा शरीर मे औषधि प्रविष्ट की जाती है।
एक महिलाओं को जीवन के में इन तीन महत्वपूर्ण परिवर्तनों के दौरान, आयुर्वेद, डॉक्टर और परिवार के साथ-साथ परिवार के प्यार की जरूरत होती है। अगर एक महिलान को डॉक्टर के साथ परिवार का साथ भी मिले, तो महिला के लिए इन शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से निपटना आसान हो जाता है।
Dr Snehal Kadam
Consultant Ayurveda PhysicianASIM HOPSITAL AND RESEARCH CENTRE Surat, Gujrat