Ayurvedic medicine ("Ayurveda" for short) is one of the world's oldest holistic ("whole-body") healing systems. It was developed more than 3,000 years ago in India.

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  Fri 03-May-2024
what is Garbhsanskar

गर्भसंस्कार - Design Your Signature Baby!

                 गर्भ संस्कार क्या है? गर्भ पर किए जानेवाले या फिर गर्भ पर होनेवाले संस्कार......... गर्भ संस्कार है। अब गर्भ पर संस्कार होते है ये हम कैसे मान ले? आप सभी अर्जुनपुत्र अभिमन्यु को तो जानते ही होंगे। जब सुभद्रा गर्भवती थी, अभिमन्यु उनके गर्भ मे थे, तब श्रीक़ृष्ण ने सुभद्रा को चक्रव्युह का विश्लेषण किया था। चक्रव्युह मे प्रवेश के बारे मे सुनते समय सुभद्रा जागृत थी, लेकिन बाद मे उनको नींद लगाने के कारण चक्रव्युह तोड़ना नहीं सुन पायी। उसके फलस्वरूप अभिमन्यु चक्रव्युह मे प्रवेश कर पाये, लेकिन चक्रव्युह तोड़कर बाहर नहीं आ पाये। अभिमन्यु हमे ये बताते है, गर्भावस्था मे माता के आचार विचार का गर्भ पर प्रभाव होता है, जिसे हम गर्भ संस्कार कहते है। और दूसरी बात माता गर्भ से जो भी संवाद करती है, या करना चाहती है, उस समय माता का संवाद पर ध्यान होना जरूरी है। 

  संस्कार क्या है? हम दूध मे से दहि बनाते है, दहि मे से मख्खन और छांस और अंत मे मख्खन से शुद्ध घी! ये दूध मे से दहि, मख्खन, घी बनाने के लिए जो प्रक्रिया की जाती है, उसे हि संस्कार कहा जाता है। इन संस्कारों से गुण वृद्धि और दोष ह्रास होता है। इसी तरह, जब गर्भ पर संस्कार करते है, तब गर्भ स्थित बालक के गुणों मे वृद्धि होती है, और दोषों का ह्रास! नाशवान वस्तु मे से चिरायु वस्तु बनती है। इसीलिए गर्भ संस्कार द्वारा हम एक अभूतपूर्व पीढ़ी का निर्माण कर सकते है। जैसे जीजामाता ने छत्रपती शिवाजी महाराज जैसे अद्भुत व्यक्तिमत्व का निर्माण किया।

  विज्ञान भी कहता है की बालक के मस्तिष्क का 60 प्रतिशत विकास गर्भावस्था मे ही होता है। इसीलिए गर्भ संस्कार जरूरी है। अब एक प्रश्न यह भी है, की यह संस्कार स्थायी है या नहीं? गर्भ का स्वभाव परिवर्तन और वृद्धि है। 1 मि ग्रा से भी कम वजन का गर्भ 9 महीने मे परिवर्तन और वृद्धि करके 2.5 किलो का हो जाता है। जैसे शारीरिक वृद्धि होती है, उसी तरह मानसिक और भावनिक तौर पर भी गर्भ की स्थायी स्वरूप से परिवर्तन और  वृद्धि होती है। ये परिवर्तन जैसे स्थायी स्वरूप का होता है, वैसेही गर्भ संस्कार द्वारा गर्भ मे होनेवाले शारीरिक, मानसिक और भावनिक संस्कार भी स्थायी स्वरूप के होते है। जिसके द्वारा हम गर्भ के बालक के शारीरिक, मानसिक और भावनिक गुणों की वृद्धि और दोषों का ह्रास स्थायी तौर पर करके अभिमन्यु और छत्रपती शिवाजी महाराज जैसे अद्भुत व्यक्तिमत्व का निर्माण कर सकते है!