डाइबिटिस ठीक हो सकता है?
अचम्बित हुए? जी हाँ..................टाईप- 2 डाइबिटिस ठीक हो सकता है? आज की तारीख की सबसे बड़ी समस्या डाइबिटिस है। आज के काम के तरीके, बढ़ती सुविधायें, बदलती जीवनशैली के कारण शरीर की अंदरूनी तकलीफ़े बढ़ती जा रही है, जिसे मेटाबोलिक डिसोरडर्स कहा जाता है। डाइबिटिस इन्ही मेटाबोलिक डिसोरडर्स की उपज है। डाइबिटिस स्लो पोइज़न की तरह शरीर को धीरे धीरे खोखला कर देता है। महत्व की बात यह है की यह बीमारी अब वयस्कों के साथ साथ युवाओं को भी जकड़ रही है।
डाइबिटिस लक्षण / Diabetes Symptoms
डाइबिटिस के सारे कारणों से पैंक्रियास ग्रंथि के कार्यक्षमता में खामी आती है, जिस कारण इंसुलिन अंतःस्त्राव की निर्मिति धीरे धीरे कम होने लगती है। इंसुलिन रक्तशर्करा को सभी शरीर अवयवों (कोशिकाओं ) तक पहोचाने का कार्य करता है, जिससे शरीर अवयवों को ऊर्जा प्राप्त होती है। इंसुलिन स्त्राव की कमी के कारण शरीर अवयवों (कोशिकाओं ) तक रक्त शर्करा – ऊर्जा सम प्रमाण मे नहीं पहोंच पाती, जिस कारण थकावट, पैरों मे दर्द, दिल की धड़कने तेज होना आदि लक्षण शुरुआत में दिखते है। कुछ सालों के बाद कोशिकाओं को ऊर्जा की कमी के कारण आँखों मे तकलीफ (Diabetic retinopathy), हाथ पैरों मे झिनझिनाहट (Diabetic Neuropathy) होती है। साथ ही रक्त मे मौजूद अधिक शर्करा को शरीर से बाहर निकालने के लिए किडनी को अपनी कार्यक्षमता से अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे किडनी की तकलीफ (Diabetic Nephropathy) होती है।
आपको डाइबिटिस की सारी दवाए नियमित रूप से परेहजी के साथ लेते हुए भी यह सब तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है...........जिसका कारण है इंसुलिन रेजिस्टन्स! दवाइयाँ लेने से रक्त मे शर्करा का प्रमाण तो संतुलित होता है, लेकिन कोशिकाओं तक ऊर्जा नहीं पहोंच पाती है।रक्त में शर्करा का प्रमाण संतुलित रखने के लिए ये दवाइयाँ या तो लिवर पर कार्य करती है या पैंक्रियास पर..........! इंसुलिन रेजिस्टन्स पर कोई कार्य नहीं होता, इसीलिए दवाइयाँ लेने के बावजूद तकलीफ़े बढ़ती ही जाती है।
आयुर्वेद एवं पंचकर्म चिकित्सा for डाइबिटिस / Ayurveda & Panchakarma Treatment for Diabetes
आयुर्वेद एवं पंचकर्म चिकित्सा द्वारा इंसुलिन रेजिस्टन्स पर कार्य होता है, और उपरोक्त सब तकलीफों से छुटकारा मिलता है। आयुर्वेद एवं पंचकर्म चिकित्सा द्वारा शरीर मे हुए डीजनरेटिव चेंजेस रिवर्स होते है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टन्स दूर हो जाता है। अब आपको पता कैसे चलेगा की आप डाइबिटिस मुक्त हो चुके हो? यह जानने के लिए ओरल जीटीटी टेस्ट किया जाता है। जो नॉर्मल आने पर आपको डाइबिटिस मुक्त घोषित किया जाता है। ओरल जीटीटी टेस्ट नॉर्मल आने का अर्थ यह है की आपका शरीर अब शर्करा के पाचन के लिए सक्षम है।
Dr Snehal Kadam
Consultant Ayurveda PhysicianASIM HOPSITAL AND RESEARCH CENTRE Surat, Gujrat