Ayurvedic medicine ("Ayurveda" for short) is one of the world's oldest holistic ("whole-body") healing systems. It was developed more than 3,000 years ago in India.

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Harmful effects of internet

आखिर कहां जा रहें हैं हम ?

आज तकनीक और भौतिकता , स्वतन्त्रा के नये सोपान बन गये हैं , जिनके अनेक लाभो को नकारा नहीं जा सकता हैं किन्तु अगर समाजिक और आत्मिक हानि से सरोकार किया जाये तो , निश्चित ही विकट स्थिती से भी इन्कार नहीं किया जा सकता जहां तकनीक औंर अधिक भौतिक होने की मंशा ने हमें जीवन को सरल औंर अपने विचारों को नये आयाम देने हेतू facebook, whatsapp, instagram, hike, twitter  जैसे बेहतर platforms दिये हैं, वही वास्तविक स्तर पर हमनें इनका सदुपयोग के विपरीत दुरोपयोग अतिशीघ्र सीखा हैं जिसका परिणाम ये हुआ हैं कि हम समाजिक हीं नहीं यहां तक परिवारिक रिश्तों औंर कर्तव्य से भी विमुख हो रहे हैं ऐसा शायद इसलिये भी हो रहा हैं क्योंकि हमनें खुशी का आधार/स्तर , virtual plateform पर सम्मानित कथित मित्रों की संख्या औंर उनके द्धारा भेंट like औंर comments की संख्या को समझ लिया हैं ? हम सम्बन्धों में खुशी के विपरीत , भौतिकता में खुशी तलाशने लगे हैं हमारी प्राथमिकता एकाकी जीवन हो गई हैं समय के बदलते रुख में परिवार की परिभाषा में भी परिवर्तन आया हैं नतीजन हमनें घर , बडी गाडी , महंगे जेवरात , महंगे शौंक को मात्र जीवन का उद्देश्य बना लिया हैं औंर हम प्रतिदिन उसी सुख प्राप्त कराने वाले जाल की सरंचना में लगे रह्ते हैं औंर एक समय ऐसा आता हैं हम अपना इतना आत्मिक पतन कर चुके होते हैं कि अन्त में ना सुख की प्राप्ति होती हैं और ना ही शुभ की और हमारे अन्दर आत्मिक विकार जैसें ईर्ष्या, द्वेष , अहं , क्रोध , असहनशीलता , प्रशन्सा , भय आदि अधिक विनाशक रोग पनपने लगते हैं वास्तव में इन आत्मिक रोगों से समाज का हर वर्ग यहां तक की अधिक शिक्षित , अनुशासित वर्ग जैसें ias,pcs,doctors,engineers,professors etc. भी अछूत नहीं हैं हो सकता हैं आपको मेरी लेखनी में नकारात्मक स्याहि का वर्ण ज्यादा दर्शित होता हों , मगर जरा सोचिये औंर खुद से प्रश्न करें कि कब आपने माता-पिता , पति-पत्नी , सन्तान आदि का शुभ औंर उनकी हितायु , आत्मिक विकास हेतू सच्चे ह्रद्य से शुमकामना की हैं ?  तो शायद अपको साल या महीना याद हो , परन्तु अगर पूछा जाये कि आपने कब अपने कथित मित्रों को जन्मदिन, शादी की सालगिराह , मदर डॆ, फादर डॆ ,wish , share , tag , like , comments किया हैं  तो आप तुरन्त निश्चित समय भी बता देगें और ऐसा कर हम वास्तव में हम अपने आपको चारों जगत() के प्रति निष्ठावान समझ कर गौर्वान्वित समझने की वैचारिक भूल कर रहे हैं हमारे पास जीवन के अमूल्य समय में माता-पिता की सेवा , उनसे बात , यहां तक उनके लिये शुभकमना करने के कुछ पल नहीं होते हैं बल्कि कथित मित्रों हेतू जिन्हें हम अपना वास्त्विक शुभचिन्तक समझते हैं, उनको wish करने के लिये अर्धरात्रि तक जाग सकते हैं देवियों एवं सज्जनो मैं इस जीवनशैली , तकनीक , आर्थिक विकास और भौतिकता का घोर विरोधी नहीं हूं , किन्तु जरा सोचिये हमने तकनीक को निजात किया है, ना कि तकनीक ने हमें अतः इस भौतिकता के गुलाम मत बनिये क्योंकि इसका अतिमोह हमारी मानवता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं

 समाज का एक बडा वर्ग मेरें विचारों से वैचारिक मतभेद रख सकता हैं ,ये उनका व्यक्तिगत एवं वैचारिक अधिकार हैं जिसका मैं स्वागत करता हूं मित्रों आपके मन-मस्तिष्क में ये प्रश्न ,ज्वारभाटा में समुद्र की लहरों के समान उथलपुथल कर रहा होगा कि अखिर इस तरह आलोचना का पुट लिये लेख की आवश्यकता क्य़ूं पडी ? जिन्दगई अच्छी तो हैं , सब ठीक तो हैं , तो मित्रों इसके जवाब में , हमें अतीत में जाकर , अपनी उत्पत्ति के आदिकाल से वर्तमान तक हुए विकासकर्म को समझना होगा और सोचना होगा कि मानव सभ्यता के अस्तित्व हेतु ये आवश्य़क हैं कि हम एकाकी परिवेश के बजाय , समाजिक और संयुक्त रहें औंर अपने बहुमूल्य जीवन के सत्य और उद्देश्य़ को पहचाने मित्रों हमें पुनः संयुक्त परिवार की अवधारणा को स्वीकार करना होगा , क्योंकि एकाकी जीवन जीने की इच्छा रखने वाले शिक्षित समाज में ही आत्मिक रोग , तलाख ,परहत्या ,यहां तक की आत्महत्या जैसी कुरुतियां तुलनात्मक अधिक दिख रही हैं जहां हम अपने लिये विकास के नये- आयाम स्थापित कर रहे हैं , वही हमें स्वयं औंर अपने शुभचिन्तको हेतू आत्मिक विकास पर भी गम्भीरता से विचार करना होगा

मेरा व्यक्तिगत रूप से नवयुवक , अधिक शिक्षित , सक्षम समाज से अपील हैं कि पुरानी जडो को जिन्होनें आपको फल बनाया ,उन्हें अपने कार्यो औंर भौतिक लक्ष्य की पूर्ति की दौड में सूखने ना दें उन्हें आपके भौतिक सुख की आवश्यकता नहीं वरण आपके समय ,सेवा औंर साथ की नितान्त आवश्य़कता हैं अन्यथा मित्रों वों लम्हें दूर नहीं हैं , जब उनका अस्तित्व तो नष्ट हो ही जायेगा और साथ ही हमारा खुद का अस्तित्व भी भविष्य के गर्त में नष्ट हो जायेगा |