टायफॉइड: आम जन के लिए सम्पूर्ण जानकारी
टायफॉइड शब्द से शायद हर भारतीय परिचित है। यह बेहद सामान्य बीमारी है।
टायफॉइड का प्रमुख कारण साल्मोनेला टायफी (Salmonella typhi) नामक एक जीवाणु है जो कि खाने अथवा पानी से मनुष्य में प्रवेश करता है। अर्थात साफ़ सफाई बचाव का एक प्रमुख तरीका है। साफ़ पानी और साफ़ खाना। बाहर खाना हो तो गर्म खाना जिससे यह कीटाणु नष्ट हो जाता है।
इसके कुछ अन्य प्रकार ज़ैसे साल्मोनेला पैरा टायफी A अथवा बी भी होते हैं । जो कि कम खतरनाक होते हैं।
कीटाणु प्रवेश के बाद लगभग 10 से 12 दिन के बाद व्यक्ति बीमार होता है।
Symptoms of Typhoid लक्षण:
बुखार आना जो कि तेज़ हो सकता है। पहले बुखार 20- 22 दिन तक होता था अब कारगर दवाएं आ जाने से 5 से 7 दिन में अधिकांशतः ठीक हो जाता है।
बुखार के अतिरिक्त भूख न लगना, पेट दर्द, उल्टी, सरदर्द,शरीर में दर्द इत्यादि हो सकता है।
टायफॉइड को अनेकों क्षेत्रों में मोतीझिरा भी कहा जाता है। जो कि आम तौर पर बुखार के दूसरे हफ्ते पर कुछ दानों के पेट पर उभरने की वजह से कहा जाने लगा।
लेकिन अब यह दाने दिखाई नहीं देते क्योंकि कोई भी पहले हफ्ते से ही इलाज लेना शुरू कर देता है।
सही इलाज न लेने पर खतरा: टायफॉइड स्वाभाविक रोगप्रतिरोधक क्षमता से भी 3 हफ़्तों में ठीक हो सकता है।
लेकिन अनेकों कॉम्प्लिकेशन की संभावना और खतरा भी होता है इलाज न मिलने पर।
जटिलताओं में प्रमुख हैं आँतों में छेद हो जाना (intestinal perforation), जो कि जानलेवा भी हो सकता है। ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है।
मस्तिष्क में टाइफाइड कीटाणु के पंहुचने से बेहोशी हो जाना।
जिसे typhoid encephalopathy कहते हैं।
लिवर में संक्रमण से पीलिया हो जाना।
सेप्टिसीमिया की वजह से विभिन्न अंगों का प्रभावित हो जाना।
इलाज आसानी से उपलब्ध होने की वजह से उपरोक्त जटिलताएं अब कम देखने मिलती हैं।
Prevention of Typhoid रोकथाम:
साफ़ पानी और साफ़ खाना सबसे प्रमुख कारगर तरीके हैं।
खाने के पहले साबुन से अच्छे से हाथ धोना
टीकाकारण उपलब्ध है टाइफाइड का जो कि किसी भी उम्र में लग सकता है 9 माह की उम्र के बाद।
टीके की एमआरपी लगभग 1800 रूपये है ,90 प्रतिशत सुरक्षा 5 वर्ष तक देगा।
कुछ हद तक सुरक्षा जीवनपर्यंत भी रह ज़ाती है। या फिर दूसरा dose रिपीट लिया जा सकता है।
सरकारी टीकाकारण कार्यक्रम में यह टीका उपलब्ध नहीं है।
इससे बहुत सस्ता टीका भी आता है लेकिन वह कम कारगर है और पुराने शोधों पर आधारित है।
Treatment of Typhoid इलाज:
टाइफाइड कीटाणु को मारने अनेकों कारगर दवाएं उपलब्ध हैं।
किंतु एंटीबायोटिक्स के बहुत ज़्यादा और गलत इस्तेमाल की वजह से टाइफाइड कीटाणु अनेकों दवाओं से प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर चुका है।
इसी वजह से आज़कल आम तौर पर टाइफाइड में 2 एंटीबायोटिक देनी पड़ जाती हैं।
टाइफाइड का मरीज़ स्थिर हालत में हो तो घर बैठे इलाज हो सकता है। कुछ भी न खाए पिए,दस्त हो या अन्य जटिलताओं की संभावना होने पर भर्ती करना बेहतर होगा।
Diagnosis of typhoid निदान:
विडाल टेस्ट (Widal test) बहुत कॉमन टेस्ट है । गांव तक में इस टेस्ट का नाम आम लोगों को पता है।
लेकिन विडाल टेस्ट के विषय में आम लोगों को बहुत गलत धारणाएं हैं। जिन्हें मैं आज तोड़ देता हूँ।
पहले तो यह समझ लें क़ि विडाल टेस्ट नार्मल (नेगेटिव) होने का अर्थ टाइफाइड का न होना नहीं।
साथ ही पॉजिटिव होने का अर्थ भी टाइफाइड ही है नहीं।
अर्थात विडाल टेस्ट की एक रीडिंग मात्र डॉक्टर को निर्णय लेने में मददगार हो सकती है लेकिन उसे और भी बातों का ध्यान रखना होगा
साथ ही टाइफाइड होने पर चार दिन के बाद ही विडाल के पॉजिटिव आने की संभावना होती है।
एक बार विडाल पॉजिटिव होने पर महीनों तक पॉजिटिव रह सकता है भले टाइफाइड कीटाणु शरीर से पूरी तरह ख़त्म हो गया हो। कुछ लोग जो बार बार टाइफाइड टेस्ट करा के ये भ्रम पाले होते हैं क़ि मेरा टाइफाइड ठीक ही नहीं होता इस तथ्य की अनभिज्ञता से ऐसा करते हैं। टाइफाइड टेस्ट बार बार नहीं करना है।
रक्त कल्चर सबसे भरोसे मंद जांच है जिसमे मरीज़ के थोड़े से ब्लड को लेकर साल्मोनेला के पसंदीदा माहौल में उसे रखा जाता है। और 2 से 5 दिन के बीच उसकी ग्रोथ देखी जाती है।
आम तौर पर यह मात्र भर्ती मरीजों में ही किया जाता है।
एक मलेरिया किट जैसी टाइफाइड किट की जांच भी उपलब्ध है लेकिन यह भी पूर्णतः विश्वसनीय नहीं।
महत्वपूर्ण बात विडाल टेस्ट मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों में भी पॉजिटिव हो सकता है और चिकित्सक को गहराई से न पता हो चिकित्सक भी भ्रमित हो सकता है।
Diet management in typhoid fever टाइफाइड में खान पान :
टाइफाइड होने पर खानपान में कुछ ख़ास परहेज़ की कोई आवश्यकता नहीं। दाल,चावल,सब्ज़ियां, रोटी, दूध,दही,फल सब ले सकते हैं।बीमार होते शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए कैलोरी ,प्रोटीन,विटामिन्स की बेहद ज़रूरत है।
भूख कम हो चुकी होती है ऐसे में बेस्वाद उबला खाना उसे खाने से और दूर कर सकता है। बच्चा या मरीज़ ज़ैसे स्वाद पसंद करे उसे दें।
Dr. S. K. Sinha
BAMS, Medical OfficerGhaziabad