गुदरोग में धूपन चिकित्सा का महत्व:
गुदरोग मे इन्फ़ैकशन कंट्रोल कर पाना बहोत ही मुश्किल होता है। क्योंकि शरीर की सारी गंदगी मल के रूप मे गुड द्वार से ही बाहर निकलती है। तो यहाँ के इन्फेक्शंस का नियमन करना लोहे के चने चबाने बराबर होता है। बार बार इन्फेक्शन होता रेहता है। यह इन्फेक्शंस का रिकरंस रोकने के लिए, ज़ख़म भरने के लिए, वेदना शमन के लिए, धूपन एक बहोत ही कारगर चिकित्सा है।
आयुर्वेद यह आयुः मतलब जीवन का वेद है। तो प्राचीन संस्कृति मे जो भी कार्यों का वर्णन किया गया है, वह आयुर्वेद के अनुसार ही है। प्राचीन संस्कृति मे जो यज्ञ, अग्निहोत्र किए जाते थे, वो भी धूपन का ही एक प्रकार था।
ये धूपन कराते कैसे है? कोयला या गोबर के उपलों को जलाकर उसका अंगार बनाना होता है। फिर वो धूपदानी धूपन टेबल (एक टेबल जिसमे बीच मे होल किया हो) के नीचे रखनी है। धूपन टेबल पर बैठना है, और थोड़ा थोड़ा धूपन द्रव्य अंगार मे डालना है। जिससे अंगार मे से धुआ निकलेगा, जो गुदा के इन्फेक्शन पर काम करेगा।
धूपन किटाणुनाशक और जीवाणुनाशक होता है। धूपन द्वारा रक्तवाहिनियों का विस्तार होता है। कोशिकाओं मे परफ्यूजन योग्य मात्र मे होने से ओक्सीजनेशन बढ़ जाता है। इस कारण सूजन और इन्फ़ैकशन मे धूपन द्वारा लाभ होता है। धूपन रक्तस्तंभक, वेदना शमन का भी कार्य करता है।
Dr Snehal Kadam
Consultant Ayurveda PhysicianASIM HOPSITAL AND RESEARCH CENTRE Surat, Gujrat