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  Fri 03-May-2024
menstrual cup

Menstrual cup for stress free periods!

मेंस्ट्रुअल कप्स- मासिक की चिंता से आज़ादी

 

जब दो साल पहले ही सैनिटरी पैड्स के नुकसानों के बारे में पोस्ट की थी तो बहुत बहस हुई थी। जगह जगह टैग मेंशन करके गरियाया गया था कि अभी तो मेंस्ट्रुअल हाइजीन की शुरुआत ही हुई है और मैं फिर से पीछे ले जाना चाहती हूँ। पैडमेन जैसी मूवीज़ देखकर भी मुझे यह समझ नहीं आया कि लाखों अरबों पैड्स से धरती को पाट देने की बजाय सरकारें एक मेंस्ट्रुअल कप क्यों नहीं अवेलेबल कराने के बारे में सोचतीं, 10-15 नहीं तो 5 साल भी चल जाए तो मासिक पर खर्च ख़त्म सा ही हो जाये।

9 सितम्बर को दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 75% सैनिटरी पैड्स तयशुदा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और मूत्र एवं गर्भाशय संक्रमण से लेकर गर्भाशय कैंसर तक का ख़तरा है।

जो सेफ हैं, वे बहुत महंगे हैं और कोई फुल डे तो कोई फुल नाइट प्रोटेक्शन की बात करता है इसलिये भी 4-6 घण्टे में बदले नहीं जाते।

अभी केवल 12 प्रतिशत भारतीय महिलाएं इस विकल्प को वहन कर सकती हैं फिर भी औसतन किसी महिला के अपने जीवनकाल में 125-150 किलोग्राम टैम्पन, पैड और ऐप्लिकेटर प्रयुक्त करने का अनुमान है। प्रतिमाह भारत में 43.3 करोड़ ऐसे पदार्थ कूड़े में जाते हैं जिनमें से अधिकांश रिवर बेड, लैंडफिल या सीवेज सिस्टम में भरे मिलते हैं क्योंकि एक तो ठीक से डिस्पोज़ करने की व्यवस्था नहीं होती और दूसरा अपशिष्ट बीनने वाले सफाईकर्मी हाथों से सैनिटरी पैड्स और डायपर्स को अलग करने के प्रति अनिच्छुक होते हैं। जबकि उनको अलग करके उन्हें जलाने के लिए तैयार करना भारत सरकार के नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंग नियमों के तहत आवश्यक है।

मेंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन भारत में अभी आम नहीं हुआ है। छोटे ही नहीं, बड़े शहरों में भी बहुत कम महिलाएं इसका उपयोग करती हैं।

Why menstrual cups are less popular? मेंस्ट्रुअल कप्स के कम प्रचलन के कारण

  • सबसे पहला और सबसे बड़ा तो यही, कि अभी तक कई लोगों ने इसके बारे में सुना भी नहीं है।
  • हमारे शरीर की रचना के प्रति ही इतनी अनभिज्ञता है कि इसके सही प्रयोग का तरीक़ा नहीं पता होता।
  • आज भी समाज में 'दाग़' लगने का हौआ इतना बड़ा है कि मासिक स्राव शुरू होने से पहले ही इसका ट्रायल करने के बारे में सोचा जाता है जबकि सर्विक्स माहवारी के दौरान ही इतना नर्म और लचीला होता है कि इसे आसानी से लगाया जा सके। बाक़ी दिनों में बहुत मुश्किल और कष्टप्रद होता है।
  • सही आकार का चुनाव भी समस्या है। उम्र और प्रसव के प्रकार पर यह निर्भर है।
  • शुरुआती एक दो या तीन सायकल तक जब तक ठीक से अनुभव न हो, इसका प्रयोग मुश्किल लगता है और अधिकांश महिलाएं इसी दौरान इसके प्रयोग का विचार त्याग देती हैं। जबकि ठीक से इस्तेमाल करने पर ज़रूरी नहीं कि दिक़्क़त हो ही।
  • ग़लत तरीके से या हाइजीन का ख़्याल न रखते हुए या बड़े नाखून अथवा बलपूर्वक लगाने की कोशिश या अनुपयुक्त साइज़ के कप के चलते कभी कभी योनि में जलन, खुजली, सूजन या लगाने के बाद पेल्विक पार्ट में दर्द हो सकता है, इस वजह से भी कई लड़कियां इसे छोड़ देती हैं।

Advantages of Menstrual cups मेंस्ट्रुअल कप्स के फ़ायदे-

सबसे पहला फ़ायदा बचत तो है ही, साथ ही यह विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से भी बचाव करता है। सैनिटरी पैड्स या टेम्पून की तरह हाई एब्ज़ॉर्बेंट मटेरियल न होने से ये योनि के स्वभाविक पीएच से कोई छेड़छाड़ नहीं करता, न ही टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का ख़तरा होता है न ही आसपास की त्वचा में रैशेज़, कटने छिलने और इंफेक्शन का डर।

जो लोग विभिन्न मानकों और रिस्क की बात करते हैं, उनकी जानकारी के लिये, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 89% आबादी के लिये मेंस्ट्रुअल हाइजीन एक चुनौती है। गाँवों में ही नहीं शहरों में भी निम्न वर्ग की महिलाएं, मज़दूर, भिखारी आदि वर्ग राख, मिट्टी और प्लास्टिक की पन्नियों का इस्तेमाल करती हैं। साफ सूखे सूती कपड़े भी मिलना मुश्किल हैं, उनके लिये एक अदद मेंस्ट्रुअल कप बहुत बड़ी राहत है।

इसके अलावा जिनका फ्लो बहुत ज़्यादा है या जो महंगे सैनिटरी पैड्स और टेम्पून नहीं व्यय कर सकतीं उनके लिये भी यह बहुत बड़ी राहत है।

खर्च के अलावा भी यह बहुत सुविधाजनक है। एक बार लगाने के बाद आप फ्लो की चिंता से लगभग मुक्त हो जाती हैं। शौच और स्नान के समय इसे निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। तैराकी, राइडिंग, कूदना, दौड़-भाग सब आसानी से कर सकते हैं लीकेज प्रूफ होते हैं। सबसे बड़ी बात, आसानी से खाली करके साफ़ पानी से धोकर पुनः इस्तेमाल किये जा सकते हैं। पीरियड समाप्त होने के बाद 5 मिनट उबलते पानी में स्टरलाइज़ करके अच्छी तरह से सुखाकर रखे जा सकते हैं वापिस।

 

Which cup will be suitable for me? कौन सा कप उचित रहेगा?

 

कप्स का कोई स्टैंडर्ड फिक्स साइज़ नहीं है आपके कपड़ों या फुटवियर्स की तरह। स्मॉल और लार्ज साइज़ हर कम्पनी के अलग अलग आते हैं। सामान्य नियम है कि-